इंतिहा ये है कि 'फ़ानी' दर्द अब दिल हो गया तन्हाई की रातों में, दर्द की गहराइयों में खो जाता हूँ, तो दर्द को छुपा कर हँसने की कोशिश करता हूँ। वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे। राहत इंदौरी की ग़ज़लें आपको उर्दू साहित्य के सौंदर्य से परिचित कराएंगी, https://youtu.be/Lug0ffByUck