त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् । https://shiv-chalisa-lyrics77271.blogdun.com/30325718/everything-about-shiv-chalisa-lyrics-in-english